कवयित्री शालिनी कुमारी जी द्वारा रचना “इबादत का एक पल"

मंच को नमन 

विषय : इबादत का एक पल

इबादत का एक पल 
मनोभावों का वह विचार हैं 
जहाँ हम उद्विग्ता के चरम पर 
पहुंच कर भी संभल जाते हैं.. 
ये इबादत का वही एक पल हैं 
जो हमारी विषम परिस्थितियों में भी 
हमें थामें रखती हैं.. !

इबादत का एक पल 
घाव गहरे सिलता हैं 
हो कितनी भी तेज धार अश्रुओं की 
धो सारे विषाद को फ़िर वो.. 
मोह के धागे में मोती पिरोता हैं 
मौन की नीरव गहनता को भी 
प्रेम की वाणी का अक्षत लगाता हैं.. !

हाँ, इबादत का एक पल ही उस 
परमात्मा की रहमत का एहसास दिलाता  हैं.. !!
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              शालिनी कुमारी 
                  शिक्षिका 
            मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार )
       (स्वरचित अप्रकाशित रचना )

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