कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “आंँचल की ताकत"

मंच को नमन

शीर्षक-आंँचल की ताकत

संभव नहीं
 है असंभव
समझना
आंचल की ताकत

नभ
धरा से भी
विशाल
आंचल की ताकत

ज्ञान
विज्ञान से
दो कदम आगे
आंँचल की ताकत

सीमा पर रक्षा
घर की सुरक्षा
अनवरत करती
आंँचल की ताकत

काल की भी काल
विकराल से भी विकराल
दुनियां की
सर्व शक्ति
आंँचल की ताकत

कभी नहीं मरती
कभी नहीं झुकती
लक्ष्य का भेदन करती
नव इतिहास गढ़ती
आंँचल की ताकत

असुर
देवता
मनुष्य, पशु ,पक्षी
कण- कण का रखती ध्यान
आंँचल की ताकत

सूर्य, चंद्र
पवन से भी बढ़कर
सर्वज्ञ है
आंँचल की ताकत

कौन कर सकता है वर्णन
कौन लिख सकता है ग्रंथ
अवर्णनीय है
आंँचल की ताकत
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
        भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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