करते जा#प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन' जी द्वारा बेहतरीन रचना#

*स्वरचित रचना*
 *करते जा*

स्वयं के चरित्र का निर्माण करते जा।
इस शरीर से पवित्र काम करते जा।।
मृत्यु सत्य है और सत्य स्वर्ग भी है।
 घमण्ड से बच जीवन का सम्मान करते जा।।

टूटने से अच्छा है तू भक्ति करते जा।
हरि को जप और मन मे शक्ति भरते जा।।
क्या होगा किसी के काम आ गया तो।
तू असहायों हेतु वरदान बनते जा।।

अज्ञानता का स्वयं नाश करते चल।
सृष्टि में नवसृजन हेतु एहसास भरते जा।
तू बिल्कुल ना घबरा देखकर अन्याय।
तू प्रभु को बनाकर गुरु निष्काम कर्म करते जा।।

भारत में संत वृति को जगाना है तुझको।
अपने कर्म से ही भाग्य चमकाना है तुझको।।
नही है और कोई सहारा तो क्या।
तू अपने पथ का निर्माण करते जा।।

*प्रकाश कुमार मधुबनी'चंदन'*

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