कवयित्री वीणा आडवाणी जी द्वारा रचना “आकाशगंगा"

आकाशगंगा
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अद्भुत है ये प्राकृतिक रचना
जिसे प्रभू ने बड़ी गहनता से बनाया।।
उल्कापिंड, चांद,सितारों,नक्षत्रों से सजाया
सूरज,ग्रहों,आकाशगंगा ने प्रकाश फैलाया।।

अद्भुत है ये प्राकृतिक रचना
जिसे प्रभू ने बड़ी गहनता से बनाया।।

भौगोलिक रचनाओं ने भी हर दम कुछ
ना कुछ उत्पात अद्भुत नजारे मे मचाया।
टूटे कभी कोई सितारा,तो कभी आपस मे
ही टकरा उल्का पिंडों को ध्वस्त कराया।।

अद्भुत है ये प्राकृतिक रचना
जिसे प्रभू ने बड़ी गहनता से बनाया।।

कभी इसी आकाशगंगा मे अद्भुत सूर्य ग्रहण
तो कभी चंद्र ग्रहण ने ही कोहराम मचाया।।
कहते गिरा था कोई विशाल उल्कापिंड धरा
पे जिसने नदी, समुद्र ना निर्माण कराया।।

अद्भुत है ये प्राकृतिक रचना
जिसे प्रभू ने बड़ी गहनता से बनाया।।

आज भी इंसा जानने को आतुर क्या है
ये आकशगंगा की विस्मय से भरी पहेली
कभी सभी ग्रह एक दूजे के विपरित मे,तो
 कभी एक दूजे संग क्रम मे जैसे कोई सहेली।।

अद्भुत है ये प्राकृतिक रचना
जिसे प्रभू ने बड़ी गहनता से बनाया।।

वीना आडवानी
नागपुर, महाराष्ट्र
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