सादर समीक्षार्थ
विषय - खादी
विधा - तुकान्तिका
खादी की परिकल्पना में
अद्भुत देश प्रेम है भरा
खादी के कतरे कतरे में
कामगारों का मान भरा..।।
खादी से जाने कितनों की
रोजी रोटी भी चलती है
जाने कितने परिवारों की
घर की बाती जलती है..।।
खादी से मिलती पहचान
खादी है नेताओं की शान
खादी है हमारा अभिमान
खादी का करते गुणगान..।।
खादी से मिलता अनुपम सत्कार
खादी में छिपा माँ- बहनों का प्यार
खादी में राष्ट्र प्रेम की धार
खादी माँगता सारा संसार ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
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