कवयित्री स्वेता कुमारी जी द्वारा 'देवी पूजन' विषय पर रचना

देवी पूजन

बिभा आंटी एक दिन हमारे घर आई, जब मैं माँ बनने वाली थी। उन्होंने मेरी सास से बातों ही बातों में कह डाला कि जांच करवा लीजिये बेटा है या बेटी।
मेरी सास ने एकदम से फटकार दिया उन्हें की। हमें कोई फर्क नही पड़ता वो सब से हमे जो भी मिल जाये हम खुशी होगी।
उस वक़्त बिभा आंटी की बहू भी माँ बनने वाली थी।मैंने मन ही मन सोचा कि जब वो किसी ओर की बहू के बारे में ऐसा बोल सकती हैं तो अपनी बहू के साथ कैसा बर्ताव करती होंगी।
कुछ महीनों बाद मुझे बेटा हुआ, और उनकी बहू को बेटी।
मैंने मन ही मन अनुमान लगा लिया था कि वो जरूर ही खुश नही होंगी।
जब मेरी सास ने उनसे बात की एक दिन तो पता चला कि उन्होंने अपनी बहू को घर वापस लाया ही नही अस्पताल से। अपनी बहू को वो मायके भेज दी।कई महीनों बाद पता चला कि उनकी बहू फिर से माँ बनने वाली है, बिभा आंटी ने न जाने क्या क्या किया होगा बेटे के लिए सोच कर मन उदास हो जाता। 
 एक दिन पता चला कि उनकी बहू को दुबारा बेटी हुई मैं क्या सोचती समझती । उन्होंने अपनी बहू को वापस घर लाने की सोची ही नही।
आज अचानक से उनका फोन आया, चुकी सास घर पर नहीं थीं तो मैंने ही फ़ोन उठा लिया।
कुछ हाल चाल पूछने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे कुमारी कन्या पूजन के लिए कुछ लड़की की जरूरत है,हमारे तरफ लड़कियां बहुत कम है।
मै क्या बोलती मैं चुप थी और मन मे सोच रही थी कि अपनी ही पोती को जिस इंसान ने घर मे आने नही दिया वो इंसान आज देवी पूजन के लिए लड़की ढूंढ रही है। मैं बस अनायास ही सोचते रही मैंने ये कह कर फोन काट दिया कि मम्मी आएंगे तो बात करने को कहूंगी।

देवी पूजन पर विशेष मेरी ये कहानी बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है। कभी आप भी इसे महसूस करे और आस पास ऐसी बातों का जिक्र करें।

स्वेता कुमारी
रांची

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