कवयित्री गीता पाण्डेय जी द्वारा रचना “मुंशी प्रेमचंद पुण्यतिथि पर समर्पित”

*मुंशी प्रेमचंद पुण्यतिथि पर समर्पित*

       *स्वरचित कविता*

*मंत्र में भगत का दिखाये त्याग अनूठा।* 
*डा0 चढ्ढा का  शानो शौकत  था झुठा।।*

*वृद्धावस्था की  असहाय  बुढ़ी काकी।*
*तरह-तरह के व्यंजन की देखी झाँकी।।* 

*नमक का दारोगा, किया खूब हलाल।*
*वाह रे,मुंशी जी,लेखनी किये कमाल।।*

*ईदगाह वाला एक बालक था हामीद।*
*माॅ के लिए,  चिमटा लिया था खरीद।।*

*गोदान में होरी को, दिलवाये थे गाय।*
*जिसे जलन से, जहर  दे  दिया भाय।।*

*पूस की रात में, दिखाये थे ऐसा ठंड।*
*हल्कू ने  बिताया, जैसे कैदी का दंड।।*

*अमीर-गरीब की, चली आ रही खाई।*
*उसे  बखूबी, प्रेमचंद जी ने,  दिखाई।।* 

*ग्रामीण शहरी क्षेत्रों पर, डाले प्रकाश।* 
*सामाजिक दकियानुसी किये विनाश।।*

*"हम दो हमारे दो" के  थे,  वे समर्थक।* 
*जनसंख्या नियंत्रण के,महान पर्वतक।।*

*उपेक्षित नारी में देखे थे वेश्या का रुप।*
*नारी सम्मान में,  लेखनी नहीं हुई चुप।।*

*लेखनी में दिये थे, नारियों को सम्मान।*
*गीतापाण्डेय को मुंशीजी से अभिमान।।*
             
       गीता पाण्डेय
 रायबरेली उत्तर प्रदेश

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