बाढ़.....
ये लोग बेचारा किस्मत का मेरा नहीं है
तो फिर किस चीज का मारा है?
बाढ़ में इसके गांव घर सब डूब गया है
अब इनकी जिंदगी रोड किनारे ही गुजरने लगी है
बेचारा सभी तड़प रहे है दो वक्त की रोटी खातिर
बिना पेट में अन्न के उसे नींद भी कैसे आएगी
बाढ़ ने उसका सब कुछ ही बहा कर ले गया
उस बेचारे की स्थिति
ना जाने कितने वर्ष पीछे चला गया
वर्षों की मेहनत इसके कुछ पल में ही पानी बन गया
ये लोग बेचारे अपने बदकिस्मत के हाथों मारा गया
भगवान भी अजीब तरीका अपनाया परीक्षा लेने को
सब कुछ लूटकर उनके जिंदगी का
और दिया उसे बेहतर जिन्दगी जीने को।
ना अब उसके आंखों में नींद है
और ना उसके देह(शरीर) में चैन है
उन सब की जिंदगी भी सर्कस का बन्दर बन गया
जो अपने ही किस्मत के हाथों वो नाच रहा है ।
0 टिप्पणियाँ