डॉ अलका पाण्डेय जी द्वारा विषय आदर्श पर खूबसूरत रचना#

विषय - आदर्श 
मात पिता आदर्श है मेरे 
यह तन और जीवन उन्हीं की सौग़ात है ! 
संस्कारो का मंत्र फूंक कर चरित्र निर्माण 

दादा दादी आदर्श है मेरे 
दादी ने बोध कथाए सुनाकर जीवन का मर्म बताया !
दादा जी ने खेल खेल में अनुपम गुणों को बताया !!

चाचा चाची आदर्श है मेरे 
गलती पर डाटा , चाटा भी मारा 
सद् मार्ग पर चलना सिखलाया 
कान मरोड़कर गलती सुधारी !!

नाना नानी आदर्श है मेरे 
ज़िद्द करने पर फटकार लगाई 
चाकलेट का लालच देकर काम करने की आदत डलवाई !!

बुआ फ़ी आदर्श है मेरी 
ग़ुस्सा होने पर फुसलाती 
नेक सीख वह सदा है देती 
स्वादिष्ट भोजन कराती !!

मेरे शिक्षक आदर्श है मेरे 
अज्ञानता को दूर कर 
ज्ञान का प्रकाश दिया  
संघर्षो से लड़ना सिखलाया !!

शिक्षक ने जीवन संवारा 
सत्य और ईमानदारी का पाठ पढाया 
अपने पराये का फ़र्क़ बतलाया 
जीवों में दया करने का पूर्ण समझाया !!

सभी आदर्श है मेरे 
दादा जी स्नेह पाकर 
सही राह पर चलना सिखा 
दादी ने ही जीना सिखाया 
प्यारी प्यारी बातें बतलाई 
मैं सबका मान करती हूँ 
दिल से सबको प्रणाम करती हूँ 

डॉ अलका पाण्डेय मुम्बई

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