पटल को समर्पित मेरी यह रचना
आओ आओ मां सरस्वती आओ,
हम सब पर अपनी दया दृष्टि दिखाओ,
हम सब अज्ञानी अत्याचारी है बन रहे,
तेरी कृपा के अभाव में मिथ्या है हम बोल रहे,
हमारी बुद्धि को अपना आशीष दो,
सतविचार आये सदा ऐसा शीश दो,
मानव कितना भी वैभव संपन्न हो जाए ,
ना मिली आपकी कृपा तो मिनटों में यह ढह जाए ,
जिस पर कृपा मात आप की होती है,
उसकी वाणी में ही मधुरता घुलती है ,
वाणी के प्रभाव से वह आकर्षित करता है,
सदभावना पूर्वक श्रम से संपन्नता अर्जित करता है,
तेरी कृपा से ही बालक लिखना सीखता है ,
हो जाती कृपा अच्छी तो वही ज्ञानी कवि लेखक बनता है।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
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