प्रेम
तेरे प्यार का मैं हिसाब लगाता हूँ
हर मुसकान पर गुलाब लगाता हूँ
मेने निन्द बेचकर ख्वाब कमाये है
तेरे लिए दाव पर ख्वाब लगाता हूँ
तु मेरा प्यार है , दिल की बहार है
उम्मिदों के फूल लाजवाब लगाता हूँ
तुने किसी ओर की ओढ़नी ओढ़ी
अपनी ज़िन्दगी पर नकाब लगाता हूँ
तू गई वहाँ ज़रूर मेला लगा होगा
मैं अकेला मेला बेहिसाब लगाता हूँ।
के .ज़े .गढवी
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