"बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता,"
नारी शक्ति और नवरात्र विशेष
विधा -कविता
शीर्षक- "आवाज मुखर करो"
नवरात्रा है प्रतीक देवी का
और देवी है शक्ति का स्वरुप
काली दुर्गा अंबा शक्ति
है देवी के कई रूप ।
सदियों से हृदय में जन जन के
देवी पूजनीय सम्माननीय है
मां पुत्री भार्या अनुजा
हर रूप में वह आदरणीय है।
नव दिन में कन्या का पूजन
अर्चन वंदन करते हैं
उसी कन्या की हत्या हम
भ्रूण में ही फिर करते हैं।
कैसा विरोधाभास है यह
कैसी विकृत मानसिकता है
दहेज के लिए जला दी जाती
कैसी शोचनीय ये दशा है।
आर्यवर्त देश में यह
कैसे क्यों कर हो रहा
नौं दिन देवी पूजन करके
वर्षभर समाज उसे सता रहा।
देवी हो तुम शक्ति हो
माता हो जग जननी हो
जागृत हो एकजुट हो जाओ
जो चाहे तुम कर सकती हो।
अन्याय शोषण के विरुद्ध
अपनी शक्ति को प्रखर करो
अन्याय को मिटा दो जड़ से
मिलकर आवाज मुखर करो
मिलकर आवाज मुखर करो ।।
दीपा पंत 'शीतल'
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