हाथरस की घटना पर#दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" जी द्वारा बेहतरीन रचना#

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक -२९-९-२०२०
"हाथरस की घटना पर"
कब तक चुप बैठे रहोगे
कानून की दुहाई देकर
अब तो कानून हाथ में लेना होगा
बलात्कारियों को सबक सिखाना होगा
काट डालो उनका भी अंग
कर दो उनका भी अंग भंग
कब तक न्याय की गुहार
सरकार से तुम लगाते रहोगे
सरकार तो अपनी सुविधानुसार
कानून बनाएगी
जबतक बनेगा कानून तबतक
कितनी ही कितनी ही मासूम 
दरिंदों की हवस की शिकार बन जाएगी
तुम हो दलित गरीब तुम्हारा क्या
आना और जाना है
नारी कोई दलित नहीं गरीब नहीं
नारी तो सब एक समान है
चाहे वो दलित हो या सवर्ण हो
बलात्कारियों की कोई जात नहीं
डरते क्यों हो तुम इतने कमजोर नहीं
अब तो महिलाएं भी आगे आयें
ऐसे पूतों को कोख में मारे
सब चिल्लाते भ्रूण हत्या बंद करो
पहले तो तुम ये घिनौनी हरक़त बंद करो
होती है क्यों भ्रूण हत्या अब तो तुम
मानव होश करो
चुन-चुन मारो बलात्कारियों को
मनुष्य हो तो शर्म करो

दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
ये रचना मैंने कल लिखी थी

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