कवयित्री गीता पाण्डेय जी द्वारा रचना “शरारती बच्चा”

आज का विषय 
 आड़े हाथों लेना
 विधा लघुकथा
शीर्षक शरारती बच्चा


       बात बहुत पुरानी है मैंने जब शुरू शुरू में अध्यापन का कार्य शुरू किया था उस समय क्लास 10 में एक बच्चा बहुत ही शरारती था जिसका नाम आदित्य था वह प्रतिदिन लड़कियों के डेट में बेंच में इधर-उधर  कागज लिख कर रख देता था और एक लड़की से वह हमेशा बातें करता रास्ते में आते-जाते उससे छेड़खानी करता तमाम तरह की बातें जब मेरे संज्ञान में आई।
        तो मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए अपने पास बुलाया और उसे अच्छी तरह से समझाया कि बेटा जिस रास्ते पर तुम चल रहे हो यह तुम्हारी उम्र का तकाजा है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अच्छे नहीं होते हैं इसका ध्यान रखकर ही तब भविष्य में ऐसे काम करने का प्रयास करना धीरे-धीरे दिन बीतता गया और वाह पढ़ने में कुछ मन लगाने लगा जिस लड़की से वह बातचीत करता था उसके घर भी वह पहुंच जाता था उसे भी मैंने भुला कर के आड़े हाथों लेते हुए अच्छी तरह से समझाया कि बेटियां मां-बाप की इज्जत होती है और वह तुम्हें विद्यालय पढ़ने के लिए भेजते हैं तो ऐसे कदम ना उठाओ जिससे मां-बाप को शर्मिंदा होना पड़े कुछ बातें मेरी उसके भी समझ में आई और धीरे-धीरे उसमें भी सुधार होने लगा।
        जिस लड़के को मैंने आड़े हाथों लेकर समझाया था उसने फिर सभी आदतों को छोड़कर पढ़ने में मन लगाया और आज मुझे यह बताते हुए गर्व होता है कि मेरे समझाने पर दोनों की जिंदगी सुधर गई आज वह लड़का बड़ी पोस्ट पर तो बहुत नहीं लेकिन एक सम्मानित पद अर्थात शिक्षक के पद पर तैनात है और आज भी जहां मिलता है पैर छूता है कहता है कि आज जो कुछ भी हूं वह आप की ही देन है मैं सदैव आपका कृतज्ञ हूं कि आपने मुझे सही रास्ता अपने बेटे की तरह बुलाकर समझा कर दिखाया।

      गीता पाण्डेय
रायबरेली उत्तरप्रदेश

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