बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनाँक -१४-११-२०२०
विषय-दीपोत्सव
विधा-कविता
शीर्षक-"एक दीवाली ऐसी भी"
दीप जलायें हम सभी अपने घरों में
एक दिया उन्हें भी दें
अंधेरा हो जिनके घरों में
मिठाई खाये खूब हम सब मिलकर
एक मिठाई उन्हें भी दें
बच्चे ताकते जिनके घरों में
नए वस्त्र पहने हम सभी आज के दिन
एक वस्त्र उन्हें भी दें
जिनकी बीवी चिथड़े पहनती है घरों में
अपने बच्चों के लिए लायें ढेर सारे खिलौने
एक खिलौना उन्हें भी दें
जिनके बच्चे तरसते हैं खिलौनों के लिए
छोड़े बहुत सारे पटाखें लगा दें पैसों में आग
पर एक फुलझड़ी उनको भी दें
जो मासूमियत से निहार रही है
आपके बच्चों को पटाखा छोड़ते हुए
खाये ढेर सारा पकवान तरह-तरह की मिठाईयां
पर एक दो गुझिया उन्हें भी दे
जो जानते हैं केवल सुखी रोटी का स्वाद
खुशी मनाइए गले मिलिए
दीजिये सबको शुभकामनाएं
एक शुभकामना
उन अनाथों को भी दीजिये
जिनका इस दुनिया में कोई नहीं
तब देखिए दीपोत्सव का मजा
हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ
नहीं कहीं कोई सजा
और एक दीप उन शहीदों के नाम
भी प्रेम से जलाइये
जो हमें देते हैं शान से दिवाली
मनाने का "दीनेश" सुअवसर
आइए इस बार हम एक ऐसी
दीवाली मनाए जो यादगार हो जाए
अपने लिए तो सभी मनाते हैं दीवाली
एक बार दूसरों के लिए मनायें
तो जग रौशन हो जाये
दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।
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