कवि एड किशन भावनानी जी द्वारा रचना “उसने पहले ही पूछा”

*उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?*

मै जब किसी के यहां गया, उसी का काम करने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ,?
मैं गया था जन्मदिन की बधाई देने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था उसका खोया हुआ पर्स लौटाने 
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था उसके भाई को ब्लड डोनेट करने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था उसके उधार पैसे लौटाने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था आपकी पानी टंकी भर गई बताने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था उसके काम की जानकारी बताने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था खेती की सब्जी अनाज फ़्री में देने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं गया था उसकी परेशानी में मदद करने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मैं किसी को मुस्कराकर लगा चरण स्पर्श करने
उसने पहले ही पूछा , बोलो क्या काम हैं ?
मुझे किसीसे कोई काम नहीं सेवाधारी हूं
फ़िर भी उसने पूछा, बोलो क्या काम हैं'?
*साहित्यकार कर विशेषज्ञ कानूनी लेखक चिंतक कवि एड किशन भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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