माँ शारदे को नमन, मंच को नमन।
*शीर्षक: प्रभु श्रीराम*
*विधा: हाइकु*
दिव्य आत्मा ने
मानव रूप धरा
अवतारी जो।
कण-कण में
विराजमान राम
मर्यादित वो।
गंभीर रूपी
विनम्र व्यवहार
निःस्वार्थ भाव।
प्रतीक है वो
लोकतंत्र मूल्यों की
समानता की।
तेजस्वी है जो
असीम पराक्रमी
शून्य है अहं।
है धैर्य भाव
संयमित स्वभाव
संस्कारित वो।
दर्शन होते
आदर्श व्यक्तित्व की
पग-पग में।
प्रार्थना यहीं
जीवन में उतरे
प्रभु श्रीराम।
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