'पुरुष दिवस' पर आधारित रचना
1.पिता सुरक्षा कवच
परिवार का सुरक्षा कवच होता है,पिता।
बच्चों की सारी अभिलाषा पूर्ण करता है,पिता।।
बाज़ार के सब खिलौने अपने,जब साथ होता है, पिता।
वरना सारी दुनिया व राह सूनी जिनके न हो पिता।।
हर रिश्ते जिससे वो हैं, पिता।
परिवार की हर रस्म जिसके उपस्थित होने से पूरी हैं, वो हैं ,पिता।।
माता का सारा श्रृंगार जिससे वे हैं, पिता।
संतान का मित्र,निस्वार्थ हितैषी है,पिता।।
2.पिता के नाम
पिता की डांट भले ही कड़वी होती।
लेकिन यह दवा फायदेमंद होती।।
उस बच्चे से उसका हाल पूछना।
जिसके सिर पर पिता की छत्रछाया का न होना।
शहरों में भले ही मकान, नम्बर से जाने जाते।
लेकिन गाँवों में घर आज भी पिता के नाम से जाने जाते।।
उँगली पकड़कर चलना सिखाया।
पापा आपने हर संघर्ष में जीना सिखाया ।।
हर पुत्र व पुत्री अपने माता-पिता की लाठी बने।
तभी 'फादर्स डे' व 'पुरुष दिवस' मनाना सार्थक स्वतः बने।।
-धन्यवाद-
-रूपा व्यास
*अध्यक्षा,राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 'बदलाव मंच'*
*'परमाणु नगरी'रावतभाटा,*
*चित्तौड़गढ़, राजस्थान।*
rupa1988rbt@gmail.com
*मौलिक व स्वरचित*
0 टिप्पणियाँ