कल सपने में कृष्ण तुम आए,
क्या क्या तोहफे़ तुम थे लाए,
हर तोहफे में प्रेम रस बरसाएँ,
तुम तो सारे जग में हो छाएँ।
खुद को कितना हो सजाएँ,
मोहित और मोहित बन जाएं,
जितने धोखे हमने थे खाएँ,
तुम्हें देख सब भूल हैं जाएँ ।
आवाज़ तुम्हारी मन को लुभाएँ
दृश्य तुम्हारा आँखो पर छाएँ,
हृदय धड़क धड़कता ही जाएँ,
केसे तुमको हम हैं पाएँ।
तारो से भरा आसमान हो लाए
क्या मेरे लिए तुम हो आए,
मन दुविधा में पड़ता जाए,
कहदो मुश्किल दूर हो जाए।
तुम पर अपना प्रेम लुटाए,
फूल सुंदर -सुंदर बरसाएँ,
नाच नाच ये नाचता जाए,
खुशी की धुन बजाता जाए।
छत्र छाया जो तेरी मिल जाए,
आकाश बन मुझपर हो छाए,
कभी धरती बन पथ बन जाएं,
नदी हो तुम उसमें हम तर जाए।
जीवन में अद्भुत क्षण हो लाए,
तोहफे में प्रेम ही प्रेम बरसाए,
बारिश हो तुम हम भीग जाए,
ऐसे मेरे सपनो में तुम आए।
ममता बारोट
0 टिप्पणियाँ