नमन बदलाव मंच
विषय-भरोसा है मुझे खुद पर
भरोसा है मुझे खुद पर
मैं होंठो पर मुस्कान बनकर
लिबासों सी पहनी जाऊँगी
मैं तुम्हारे गम के आंसू चुराकर
तितली जैसी उड़ जाऊगी
ये जो मायूस हो कर दिन में
मैं रात की रानी जैसी मुरझा जाती हूँ
एक दिन हँसी जडी़ ओढनी बन
आप पर बिखर जाऊँगी
भरोसा है मुझे खुद पर
मैं तनावों के हालात में
सुकुन की चादर बन ढक जाऊँगी
भरोसा है मुझे खुद पर
एक दिन आपकी आदत हूँ जो
वक्त वक्त जरुरत हो जाऊँगी
भरोसा है मुझे खुद पर
गरिमा विनित भाटिया
अमरावती महाराष्ट्र
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