कवि श्याम कुँवर भारती द्वारा 'प्यास पानी हो गई' विषय पर रचना

गजल- प्यास पानी हो गई |
तुझसे बीछड़ दर्द इश्क अब कहानी हो गई | 
आँख से उमड़ा समंदर प्यास पानी हो गई |
छलकता सागर आंखो से सैलाब की तरह |
तेरी यादे मेरी रोज रातो की रवानी हो गई |
खिलते फूल देख तेरा हंसना याद आता है |
सिसकती ओस की बुंदों की जवानी हो गई |
आती है बहारे तेरे लहराते आँचल की तरह |
चर्चा तेरे मेरे इशक सबकी जुबानी हो गई |
जितना भूलना चाहा तुम उतना याद आए |
तू पास नहीं यादे सारी तेरी निसानी हो गई |
तेरे इश्क का जादू है कभी उतरता ही नहीं |
करके इश्क तुझसे शायद नादानी हो गई |
जब भी याद आओ साथ तुम भी आ जाओ |
तेरी हर निसानी अब और सयानी  हो गई |

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी 
बोकारो झारखंड

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