अंतरराष्ट्रीय कवयित्री विभा तिवारी द्वारा 'संयम' विषय पर रचना

रोजी रोटी के जुगाड़ में नित, 
 जो भागे भागे फिरते हो,
  कितने दिन तुम भी तो
 बिन दाना पानी यूं ही फिरते हो। 

 सज धज कर रोज निकलते हो
 एक दिन हमको भी सजने दो
 तुम भूख बेच धन लाते हो, 
 हमको भी "संयम"चखने  दो।

-विभा तिवारी,मस्कट ओमान

 करवा चौथ की असीम शुभकामनाएं

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