कवि बृंदावन राय सरल सागर जी द्वारा रचना ‘दोहे'

दोहे,,,,18/11/2020
माँ,,
माँ में तीरथ धाम सब,माँ अटूट विश्वास।।
माँ के चरणों में हुआ, हर सुख का
आभास।।

ममता,,,
ममता माँ की है नदी, इसमें
इतना प्यार।।
जीवन भर टूटे नहीं, जिसकी अविरल धार।।
 शिक्षा,,,
माँ शिक्षा  में सरस्वती,माँजीवन
आधार।।
पौधा माँ के प्यार‌ से वृक्ष बने
छतनार।।
सूर्योदय,,,
सूर्योदय में राम का, करिये हर दिन जाप।।
तन मन दोनों ‌के लिए, हरगिज
छुए न पाप।।

निर्माण,,,
जीवन के  निर्माण की, हमें
ज़रूरत ‌आज।।
किन राहों पर जा रहा, देखो भला
समाज।।
बृंदावन राय सरल सागर एमपी

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