कवि निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा रचना ‘गीत सदा प्यार के गाते है हम'

गीत सदा प्यार के गाते है हम 

    गीत सदा प्यार के गाते है हम 
             गम केसा  भी हो गुण गुणाते है 
      हर हाल में मुस्कराते  है हम 
               गीत सदा प्यार के गाते है हम 
     न  रागद्वेष न ही भेदभाव यहां है 
                  राष्ट्र से बड़ा ना कोई यहां है 
       गीत राष्ट्र भक्ति के गाते है हम 
               गीत सदा प्यार के गाते है हम 
      हिंदू , मुस्लिम,सिख ,  ईसाई 
                  सब है आपस में भाई भाई 
       यहीं बात  समझाते है हम 
             गीत सदा  एकता के गाते है हम 
      गीत सदा प्यार के गाते  है हम 
            वर्ण, बोल अपने है  अलग अलग 
     माना मजहब है अपने अलग अलग 
                    ये भारत भूमि तो    एक है 
     एक है अवनी एक है अम्बर 
               अपना खून भी देखों एक रंग  है 
     यहीं बात सदा गाते है "लक्ष्य" 
                गीत सदा प्यार के गाते है हम 
     नित्य मिट्टी का तिलक लगाते है 
         आगे तिरंगे के सर कॊ झुकाते है हम 

                    स्वरचित   निर्दोष लक्ष्य जैन

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