कवयित्री स्वाति'सरु' जैसलमेरिया द्वारा 'करवा चौथ' विषय पर रचना

करवा चौथ 
         
करके सोलह श्रृंगार, 
आई पिया के द्वार
हिय में समेटे प्रेम का
अमिट अंबार

ओ पिया चलूँ मैं तेरे संग, 
बनकर बरखा बहार
करके सोलह श्रृंगार,
आया करवा चौथ त्योंहार

मन की कली , 
खूबसूरत खिली, 
जब पिया संग मिली

बालों में गजरा, 
हाथों में मेहंदी लगा 
पिया के मन भाऊँ मैं
माथे पर बिंदिया लगा
सजना तेरी निंदिया चुराउं में

उबटन से चमके चेहरा
लाल चुनरी में खिले गहरा
अंजन से भरे नैना भरे 
पिया तेरे पास आऊं में

चंदा संग चकोर जैसा
अतुलित प्रेम रास रचाऊँ मैं
लाल-लाल कंगन, चूड़ियाँ
नाज़ुक कलाईयों में सजा
खन-खन की धुन से महकाउं में

छन छन पायल 
पायल मेरी  है बजती 
पूर्णता का एहसास कराती

मां की अनुकम्पा मुझ पर
मेरे सूने जीवन में आकर 
प्रिय ... 
तुमने प्रेम का दीप जलाया

 ओ पिया..सुनो
तुझसे कितना प्रेम मैं करती हूँ
अपने अधरों से 
यहीं मां से अरदास करती हूं

सदा सुहागिन को वर दीजो
मां करवा सबकी सुण लीजो 
हर नारी तुमको मन से पूजे
हे मां हम पर कृपा कीजो 

स्वाति'सरु'जैसलमेरिया

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