चंद्रप्रकाश गुप्त "चंन्द्र" जी द्वारा खूबसूरत रचना#

शीर्षक -   क्रांतिवीर झलकारी बाई
बाइस नवंबर अठारह सौ तीस भोजला गांँव में चपला चपल प्रकट हुई थी

जमुना देवी सदोवर सिंह के आंँगन पल कर पल-पल प्रचंड हुई थी

झलकारी में अस्त्र-शस्त्र चलाने घुड़सवारी करने की अलौकिक शक्ति समायी थी।

वीरांगना झलकारी बंदूक तोप चलाने में निपुण बड़ी थी अद्भुत देशभक्ति समायी थी।

शौर्य पराक्रम देख झलकारी का रानी लक्ष्मीबाई ने दुर्गा सेना की कमान थमायी थी।

लक्ष्मीबाई की बनी सहेली रणचंडी बन अंग्रेजी सेना में हाहाकार मचायी थी।

झांँसी का गौरव लक्ष्मीबाई की अमर शान रहे तन - मन में बात समायी थी

चार अप्रेल अठारह सौ अठावन वीरगति प्राप्त कर भारत माता की गोद समायी थी।


       जय झलकारी बाई - भारत माता की जय


     चंद्रप्रकाश गुप्त "चंन्द्र"
     अहमदाबाद , गुजरात

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