बदलाव अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय मंच
विधा:कविता,
विषय-पति देव
कर सोलह श्रृंगार मांँ ,
मैं विनती यही करूं ,
चिरंजीव हो पिया हमारे ,
हर पल संग रहूं ,
उनसे ही खुशियां हैं सारी ,
तन में चलती स्वांस,
बिन उनके जग सूना लागे ,
मन में रहे न आस,
अमर करो मांँ संग हमारा
अटल करो विश्वास,
मांँ मैं विनती यही करूं,
चिरंजीव हो पिया हमारे ,
हर पल संग रहूं।।
कांटो भरी डगर फूलों-सी ,
लगती उनके साथ ,
संघर्षों में मुस्काती हूंँ ,
हाथों में जब हो हाथ,
सात जन्म के आगे भी मांँ ,
दे दो यही सौगात ,
मांँ मैं विनती यही करूं,
चिरंजीव हो पिया हमारे ,
हर पल संग रहूं।।
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