माधवी गणवीर *वर्चस्वीं* जी द्वारा खूबसूरत रचना#

बदलाव, *राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच*
*नमन*
विषय - *छठी पर्व*
दिनांक -20/11/2020
देवों की मानस पुत्री कहलाती, छठ मैय्या,
 सुख, सौभाग्य प्रदाती,सूर्य की पुत्री छठ मैय्या।

भाग्य विधायनी, कात्यायनी माता की महिमा अपार,
 चार दिवसीय महापर्व में होते शुद्ध विचार।

सूर्य देव को अर्ध देते, मांगे सुख, सौभाग्य,समृद्धि,
 छठी माता कृपा करो, सौभाग्य  धन संतान में वृद्धि।

प्रथम नहाए, खाए, करते आराध्य देव को श्रद्धा समर्पण,
 खरना,फूल, फल ठेकुआ, सिंघाड़ा प्रसाद करते अर्पण।

शीश नवाकर छठी मैय्या विनती है बारम्बार,
 भूल- चूक माफ करना मां, देना आशीष अपार।

डूबते सूर्य का पूजन कर,विदा देती जो,
 उगते सूर्य की लाली संग, सौभाग्य मांगती जो।

जल बीच खड़ी मैय्या से मांगती सौभाग्य वर,
सूप में ठेकुआ, फल, प्रसादी लिए खड़ी प्रथम पहर।

सूर्य देव की रक्तिम लाली से मिटे दुख संताप,
वरदान दो छठी मैय्या, मिले सौभाग्य, संतान का पुण्य प्रताप।
 
माधवी गणवीर *वर्चस्वीं*
छत्तीसगढ़

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