कवयित्री रजनी शर्मा चंदा जी द्वारा रचना ‘झिलमिलाते दिए’

झिलमिलाते दिए

तेरे आने से देखो दिल में सुरूर आ गया
 दिए झिलमिल जले मुझ पर नूर आ गया।

 रोशनी सज गई खिल गया है शमां
 दरो दीवारों पर भी रंग हुजूर आ गया।

घर आंगन मेरा यूं महकने लगा सब चहकने लगे
 उत्साह से झूमे उमंगों का हुजूम आ गया।

 खुशियों की घड़ी सजी दीपों की लड़ी 
नाचने लगा मन में जैसे मयूर आ गया।

 सर्द मौसम में भी नर्म धूपों सी तुम
 धीमी लौ में जैसे जलता कपूर आ गया।

 धुन छेड़ो कोई शोर कर दरकिनार 
हाथों में सितारों सा बजता संतूर आ गया।

 फिरते हो कहां छुपा हर सुकून है यहां
 कर लो मुंह मीठा लड्डू मोतीचूर आ गया।

 रंग मेरा खिला जब से नजरें मिली
 गोरे गालों पर मेरे सुर्ख सिंदूर आ गया ।

तेरे आने से देखो दिल में सुरूर आ गया
 दिए झिलमिल जले मुझ पर नूर आ गया।

रजनी शर्मा चंदा
 रांची झारखंड

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