*राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता*
*दिनांक :- 16/11/2020*
*विषय :- बालदिवस*
*विधा:- संस्मरण*
वो बचपन........
वो हर रोज का आना जाना तेरा ,
और घर पे आकर बुलाना तेरा ।
कभी खिलना तो खिल कर मुरझाना तेरा ,
याद रह- रह के आये फसाना तेरा ।।
वो रूठना रूठ कर मान जाना तेरा ,
कभी हँसना मेरा और हँसाना तेरा ।
कभी रोना मेरा और रुलाना तेरा ,
याद रह- रह के आये फसाना तेरा ।।
वो पेन्सिल और गेटिस चुराना तेरा ,
बाद सर जी से सारस बनाना तेरा ।
और तिरछी नजर मुस्कुराना तेरा ,
याद रह- रह के आये फसाना तेरा ।।
मैं जो भूलूँ तो तिकडम बताना तेरा ,
वो ' ए ' करके मुझको बुलाना तेरा ।
आज तक हम न भूले सताना तेरा ,
याद रह-रह के आये फसाना तेरा ।।
मैं
विपिन विश्वकर्मा 'वल्लभ'
कानपुर देहात उत्तर प्रदेश
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