अनुज मेरठी जी द्वारा खूबसूरत रचना#

दिनांक - 03-11-2020
शादी के बन्धन
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प्रिय बंधे है हम,
दोनों एक डोर में।
गहरा रिश्ता है ये,
इस संसार में।।

इस डोर को हमारी,
देख टूटने ना देना कभी।
इस अनमोल रिश्ते को,
नजर ना लगे कभी किसी की।।

सात जन्मों का प्यार है,
ना मिले तो बीमार है।
दो जिस्म एक जां होकर,
कैसा अद्भुत ये प्यार है।।

प्रिए न रह पाऊं मैं बिन तेरे,
कटते नहीं रात ओर दिन मेरे।
उम्र भर के हो तुम साथी,
बस यही ख्वाब है हमारे।।

बस एक मेहरबानी करना,
मेरा तुम खुद से ज्यादा ख्याल रखना।
ना कम हो कभी प्यार के लम्हें,
बस दूर होने का सवाल ना करना।।

शुक्र करता हूं उस खुदा का मैं,
अपनी मोहब्बत को जो पा सका मैं।
ना आते तुम अगर मेरे जीवन में,
तो कैसे जी पाता अपनी उम्र को मैं।।
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अनुज मेरठी..

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