विपिन विश्वकर्मा 'वल्लभ' जी द्वारा#करवा चौथ#

करवा चौथ पर विशेष
चाँद का वास्तविक समानता का भाव

एक रोज अचानक मेरी उनसे नजर मिल गई ।
पहली ही मुलाकात में दिल में उतर गई ।।

मैनें भी उसको एक दिल का रोज दे दिया ।
उसने भी लगे हाथ ही प्रपोज़ कर दिया ।।

मैनें सोचा आज मेरी किस्मत बदल गई ।
उनसे नजर मिली लगे जन्नत ही मिल गई ।।

वो लाजवाब अदा.. जनाब क्या सबाब जाम था !
मैनें देख कर चमक निखार रख्खा चाँद नाम था ।।

मुझको भी इश्क करने का यूँ शौक हो गया ।
मेरा दीदार -ए - चाँद करवा चौथ हो गया ।।

मैं..
 उस कली की पंखड़ियों को उतनता चला गया ।
मेरा अपना ही कोई उनको भी बुनता चला गया ।।

अब वो तो किसी और की मुरीद हो गई ।
उसकी भी दीदार-ए- चाँद ईद हो गई ।।

मैंने पूछा रे बदजात बेवफा, तेरे दिल मे कुछ अजब  नहीं होता ।
वो मुश्कुरा के बोली ... क्षमा करें श्री मान,  चाँद का कोई मजहब नहीं होता ।।
चाँद का कोई मजहब नही होता ।।

आपकी लंबी उम्र की कामनाओं सहित आपको पहले से ही करवा चौथ की ढेरों बधाइयाँ ।

विपिन विश्वकर्मा 'वल्लभ'
कानपुर देहात उत्तर प्रदेश

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