भास्कर सिंह माणिक कोच#

मंच को नमन
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय "बदलाव मंच"
साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक -12 नवंबर 2020
विषय - दीपोत्सव
विधा -गीत
शीर्षक -दीप जलाएं
आओ मिलकर हम सब
ऐसे दीप जलाएं।
कोने- कोने इस धरती के
 ज्योतिर्मय हो जाएं।।

अधरों पर मुस्कान रहे 
न हो गम की कोई छाया
मिट जाए अंतस का तम
मन निर्मल हो जाए
चंदन सी बन गंध
विश्व को करें सुगंधित
मस्जिद मंदिर जैसा
हृदय पावन हो जाए

ऊंच-नीच का भाव रहे न
मिलकर कदम बढ़ाए।
आओ मिलकर हम सब
ऐसे दीप जलाएं।।

करें वही व्यवहार
जो सबके मन को भाए
घृणित द्वेष विचारों का
अंकुरित बीज न हो पाए
दुख में भी सुख का हो अनुभव
सदा यहां पर
करें प्रयास यही निर्बल का
उपहास न हो पाए

मेघ मंडली बनकर भू की
निश दिन प्यास बुझाएं।
आओ मिलकर हम सब
ऐसे दीप जलाएं।।

मीरा जैसा ज्ञान हमारे
हृदय में बस जाए
ऐसा जतन करें हम
विष अमृत हो जाए
वाणी पर संयम ऐसा
मन सब के हर्षाएं
सत्य अहिंसावादी माणिक
हर मानव हो जाए

प्रेम भाव से पुनः देश में
रहना हम सिखलाएं।
आओ मिलकर हम सब
ऐसे दीप जलाएं।।
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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
     भास्कर सिंह माणिक
           (कवि एवं समीक्षक)
मालवीय नगर (बजरिया) कोंच,
जनपद -जालौन, उत्तर -प्रदेश ,पिन -285205

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