कवयित्री डॉ.अलका पाण्डेय जी द्वारा रचना ‘भाई दूज'

भाई दूज - अलका पाण्डेय 

भाई दूज का पर्व मनाया 
रोली अक्षत थाल सजाया 
भई बहन का प्यार अमर है 
हर कोई यह है जाने , माने 
माँ देती खूब दुआऐ ,
सब की लेती है बलाऐ।
भाई छोटा हो या बड़ा 
बहन रक्षा का वचन है लेती 
जीवन की हर कठिन डगर पर साथ कभी न छूटे 
जीवन की आपा धापी में 
रिश्तों की ये नाव कभी न टूटे 
मस्तक तिलक लगाकर 
मूंह मीठा कर नाती है। 
कभी आये जीवन में कडूहाट 
गाऐ प्यार के नग्में
भर कर आँखों में आशाएँ 
ममता का रस छलकाए
प्रेम ही प्रेम ह्दय समाये
एक दूजे पर विश्वास अटूट 
बहन भाई का प्यार है अटूट 
भाई दूज की अनुपम बेला 
बहन खुशहाली के दीपजलाये
भाई दूज का पर्व मनाये 
रोली अक्षत थाल सजाये 
अलका पाण्डेय-मुम्बई

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