कवयित्री स्वेता कुमारी जी द्वारा रचना ‘शीर्षक-दीपों का त्योहार'

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विधा- पद्य
शीर्षक-दीपों का त्योहार

दीपों का त्योहार आया,
देखो सबका घर चमकाया।
मिट्टी के सुंदर सुंदर दीये
कैसे घर में खुशियां लाया।
रंग बिरंगी रंगोली बनाया,
अबीरों से उनको सजाया।
दीपों का त्योहार आया,
सबका घर सुंदर बनाया।।

रंगाई पुताई से घर साफ कराया,
कीड़े मकोड़ों को बाहर भगाया।
चमकीले झालरों से कोना कोना चमकाया,
मस्ती भी हम सबने खूब किया।
नए नए कपड़े पहन सबने खूब इठलाया,
मिठाइयों से सबका मुंह मीठा करवाया।
दीपों का त्योहार आया,
सबका घर सुंदर बनाया।।


मिट्टी से दीवाली घर हमने बनाया,
उसको फूलों से हमने सजाया।
ग्वालिन से पूजा कर के,
चीनी की मिठाई चढ़ाया।
सात तरह के भुंजों से ,
लक्ष्मी माता को भोग लगाया।
दीपों का त्योहार आया,
सबका घर सुंदर बनाया।।

पटाखों से हमने दूरी बनाई,
करे यह खराब पर्यावरण हमारी।
दीपों से घर को सुंदर सजाया,
पूरा परिवार मिल साथ में पूजन कराया।
गणेश जी को लड्डू के भोग लगाया,
लक्ष्मी जी को कमल पुष्प चढ़ाया।
दीपों का त्योहार आया,
देखो ,सबका घर सुंदर बनाया।।
स्वरचित रचना
स्वेता कुमारी
धुर्वा, रांची।

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