हास्य
पतिदेव
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पतिदेव की व्यथा सुनाती
व्यथा कहो क्या कथा सुनाती
बड़े हो वो दिलकश अंदाज़
मोहब्बत का सदैव पहने ताज़।।
घर मे बैठे मुझे सताते
सारा दिन चाय बनवाते
कहते मुझको भाग्यवान
तू ही तो मेरी अर्धांगिनी महान।।
मसका लगा लगा के काम निकलवाते
बाहर घूमाने भी ना ले जाते
सारा दिन खाते आम जाम
चाहिये बस मीठे मीठे पकवान।।
कहती जब भी मैं शापिंग करादो
पैसो से भरा पर्स अपना हमें थमा दो
कहते पैसे जब तब साड़ी पे उड़ाती
मैं उन्हें कंजूस कहके मुंह खाना न बनाती
मेरे पतिदेव तब मुझे खूब मनाते
गुस्सा देख मेरा भी घबराते
कहते चलरी आज होटल मे खाते
हम भी नाज़ुक नस इमोशन कर पतिदेव की दबाते।।
ऐसे हम नटखट नादान
पतिदेव के गाऐं गुणगान।।2।।
वीना आडवानी
नागपुर,महाराष्ट्र
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