कवयित्री डॉ.अलका पाण्डेय द्वारा 'प्यार की चाहत' विषय पर रचना

बंदलाव मंच
५/११/२०२० 
शीर्षक- प्यार की चाहत 

तेरी याद सताती है । 
निदीयां मेरी चुराती है । 
पल में क़रीब पल में 
दूर जाते हो । 
कैसे रहूँ तेरे बिना , 
तेरी याद आती है । । 
धड़कन मचलती है । 
हिया घबराता है ।।

प्यार भरी चाहत की बाते 
तुम्हारे अंदाज की बाते 
तेरी हर अदा याद आती है ।।
तुम सामने आ जाओ 
सब कुछ पा जाऊँगी ।।
आंखो आंखो में बात होने दो 
मुलाक़ात की तारीख तय होने दो 
ज़िंदगी तेरे साथ कटती रहे 
दुख आयेंगे जायेगे 
सुख का इंतज़ार करेगें 
प्यार की चाहत है 

तो दिल में है सब बोल दो 
मोहब्बत का इज़हार कर दो ।।
जमाने को बतला दो 
तेरी याद सताती है ।।
निंदिया मेरी चुराती है ।
हाले दिल कैसे बताऊँ 
दर्द अपना कैसे समझांऊ ।।
अपने मन बात बताती 
दिल की हर बात कह जाती ।।
तेरी चाहत में ।।

प्यार की चाहत में 
उम्र गुज़र न जायें ।।
सुबह से शाम , शाम से रात 
हो न जायें ।।
कभी तुम बैठ जाते हो 
ख़ामोशी ओढ कर समाने ।।
तेरे सामने सुध बुध खो जाती हूँ 
कहने की हर बात भूल जाती हूँ।
तेरी याद सताती है । 
निदीयां मेरी चुराती है ।। 
तेरी चाहत में 
प्यार की चाहत में 
डॉ  अलका पाण्डेय मुम्बई 
मौलिक

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ