माधवी गणवीर* वर्चस्वी जी द्वारा बेहतरीन रचना#भाईचारा#

नमन  मंच
*राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक  लघु कथा प्रतियोगिता हेतु*
शीर्षक - *भाईचारा*
हमारी नयी - नयी पोस्टिंग हुई,सुमीत मेरे पति बैंक मैनेजर होने की वजह से हर तीन-चार सालों में नई जगह जाना होता था, हर बार तकलीफों का सामना करना पड़ता था,पर इस बार तो जहां सारा देश कोरोना जैसे महामारी से जूझ रहा था, वहां एक नई जगह फिर शिफ्ट होने की बात सोच कर ही मन घबरा रहा था, नयी जगह, नए लोग, बच्चों का नया स्कूल,तमाम तरह की परेशानी  जेहन में उथल-पुथल के साथ छत्तीसगढ़ के एक नई ब्रांच में सुमित ने ज्वाइन लिया।  बच्चे  छोटे थे,सिम्मी अभी 6 साल की और श्रेय 4 साल का था।
         बहरहाल एक अच्छी लोकेशन में मकान ले लिया पर कोरोना का दौर चरम सीमा पर था,शहर में लाक डाउन की प्रक्रिया जोरों पर थी, ऊपर से बैंक का काम तमाम लोगों का आना जाना,  अंदर से किसी अनिष्ट की दस्तक दे रहा था।हमारे मकान के सामने वाले मकान की एक आंटी हमारे शिफ्ट होते मिलने आई, आते ही आस पड़ोस की सारे मकान एवं उनके रहने वालों के बारे में बताया ,बगल में एक मुस्लिम फैमिली खान के बारे में उनकी राय कुछ ठीक नहीं थी।उन्हें उसने बताया कि एक तो मुस्लिम है थोड़ा तेजतर्रार आप थोड़ा इनसे बचकर रहना, आगाह करते हुए चली गई,कुछ 15 दिन ही बीते होंगे कि सुमित के बैंक में सुमित सहित तीन कोरोना पॉजिटिव निकल गए,मेरे हाथ पैर फूल गए छोटे बच्चों को लेकर मैं अकेली परिवार से दूर नयी जगह, कैसे सब मैनेज कर पाऊंगी, उस पर  कोरोनटाईन में रहना,घर सील हो गया, बाहर नहीं निकलने की सख्त हिदायत, ऐसी स्थिति में हमारे पड़ोस में  खान भाई साहब ने भाभी जी को भेजकर हालचाल पूछा, अपने बच्चे से जरूरत की तमाम चीजें मुहैया कराई हमें ढाढस  बन्धाया कि साहब जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे।पूरे 15 दिन तक हर दिन वह आती हालचाल पूछती। जाने क्यों उनका पूछना उनकी इस तरह से देखभाल करना इन परिस्थितियों में हिम्मत दे जाता, बच्चों और मुझे सुरक्षित रखने में मानसिक संबल दिया, मेरा मन उनके इस व्यवहार से आदर भाव से भर दिया,लगभग 20 दिन बाद माहौल ठीक हुए, तो हमने उन्हें आभार स्वरूप धन्यवाद दिया, साथ ईद मनाई,पिछले कई महीनों से भाईचारा का भाव दोनों परिवार में बना हुआ है,लोग बेकार हिंदू मुस्लिम की तकरार में  आज भी लिप्त है।
 
*माधवी गणवीर* वर्चस्वी
राजनांदगांव छत्तीसगढ़

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