डॉ भावना एन. सावलिया जी द्वारा बेहतरीन रचना#

बदलाव मंच,अंतरराष्ट्रीय साप्ताहिक
प्रतियोगिता  के लिए
लघुकथा 
विषय : देशप्रेम, एकता, भाईचारा
(सत्य घटना दो माह पहले की )

 शीर्षक : "एकता" (अपनों का साथ) 

मुकेश दुकान से राशन लेकर आता है और शिल्पा को कहता है : " लो यह तुम्हारा राशन इसे एक सप्ताह तक चलाना है ।ध्यान से खर्च करना । अब जेब में पेट्रोल खर्च के लिए सिर्फ पचास रुपए बचे हैं ।" मुकेश बाद में खेत को जाता है। रास्ते में बारिश के पानी की वजह से गड्ढा दिखाई नहीं देता है।वह बाइक समेत गड्ढे में चला जाता है और वही दम तोड देता है ।एक साल का बेटा और पत्नी अकेले रह जाते हैं ।
   अपने पति के शब को देखकर शिल्पा के पाँव तले से जमीन खिसक जाती है । वह आक्रंद करती है : "हाय ! अब मैं क्या करूँ ! मेरा जीवन चला गया । मेरा घर कैसे चलेगा ?" मुकेश के अंतिम संस्कार के लिए घर में रूपये भी नहीं थे । अपने  संबंधियों की सहायता से     अंतिम  संस्कार हुआ । मुकेश के अंतिम संस्कार के बाद मुकेश की ताऊ की बेटी विद्या को शिल्पा अपनी आर्थिक समस्या बताती है । विद्या सांत्वना देती है : " भाभी चिंता मत करो , सब ठीक हो जाएगा, हम सब तेरे साथ हैं ।" पारिवारिक बहनों ने मिलकर ३०,००० हजार रुपए और भाईयों ने एक साल के राशन की व्यवस्था कर दी ।
इतना बड़ा सहकार देखकर शिल्पा की आँखें कृतज्ञता से नम हो जाती हैं ।

डॉ भावना एन. सावलिया 
राजकोट गुजरात

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ