मंच को नमन
पुरुष दिवस
पुरुष
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पौरुष की पहचान ।
परिवार की शान ।
इसीलिए होता है ।
पुरुष सबसे महान ।
कर्म श्रम की शक्ति से ।
आध्यात्मिक भक्ति से ।
कहलाता विद्वान ।
बनता पुरुष विद्वान ।
स्वर्ण इतिहास रचे ।
द्वेष कुकर्म से बचे ।
रखे वचन की आन ।
पुरुष दे जीवनदान ।
करें बच्चों से प्यार ।
दे पत्नी को अधिकार ।
करे बड़ों का मान ।
पुरुष ज्ञान की खान ।
दे परमार्थ ज्ञान ।
गम पी गाए गान ।
माटी पर दे जान ।
रखे मान का भान ।
पुरुष भविष्या भान ।
है सीमा पर जवान ।
है खेत पर किसान ।
महक उठे उद्यान ।
पुरुष रखे पग तान ।
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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
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