कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना ‘पुरुष'

मंच को नमन
पुरुष दिवस

         पुरुष
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पौरुष की  पहचान ।
परिवार  की   शान ।
इसीलिए  होता   है ।
पुरुष सबसे  महान ।

कर्म श्रम की शक्ति से ।
आध्यात्मिक भक्ति से ।
कहलाता       विद्वान ।
बनता पुरुष   विद्वान ।

स्वर्ण   इतिहास   रचे ।
द्वेष  कुकर्म  से   बचे ।
रखे  वचन  की  आन ।
पुरुष  दे   जीवनदान ।

करें   बच्चों  से  प्यार ।
दे पत्नी को अधिकार ।
करे   बड़ों   का  मान ।
पुरुष  ज्ञान  की खान ।

दे        परमार्थ     ज्ञान ।
गम    पी    गाए    गान ।
माटी   पर     दे    जान ।
रखे    मान   का   भान ।
पुरुष    भविष्या   भान ।

 है  सीमा   पर  जवान ।
 है   खेत  पर  किसान ।
 महक    उठे    उद्यान ।
पुरुष   रखे   पग  तान ।

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मैं घोषणा करता हूंँ कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
           भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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