कवि मास्टर भूताराम जाखल जी द्वारा रचना ‘पुरुष’

नमन मंच
बदलाव मंच (राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय)
पुरुष दिवस पर प्रस्तुत हैं मेरी मौलिक रचना

कविता
शीर्षक-पुरुष

हर जगह नारी के सम्मान की गाते है गाथा,
पर भूल जाते हैं हम पुरुषों की सब व्यथा।
सब जिम्मेदारी सही ढंग से निभाते है पर,
पर नजरअंदाज करते हैं पुरुषों की गाथा।।

सहनशील संघर्षरत सदा पुरुष रहते हैं,
मुसीबतों करे सामना, पर नहीं कहते हैं,
कठिनाइयाँ आती हैं उनके राह में दर दर,
पर वे उन्हें बिन कहे ही सदा सहते हैं।।

दायित्वों का करते रहते हैं वे सदा निर्वहन,
करके वे अपनी महती इच्छाओं का दहन,
घर-परिवार-समाज चलायें सदा पुरुष,
अनेक दुख दर्दों को करते रहते है वे सहन।।

करने पूरी इच्छाओं को,वे आंसू पीते है,
गम- सागर का परवाह किये बगैर जीते हैं,
सारी खुशियों के वास्ते सदा पुरुष जग में,
तमाम भावनाओं के बावजूद लगते रीते हैं।।

कहे कर लेखनी से भूताराम कलमकार,
नारी संग दे इस जग को पुरुष दे आकार,
जीवन संग्राम के सफर में सदा जग में,
सपनों को करता रहे पुरुष यहाँ साकार।।

स्वरचित व मौलिक रचना
रचनाकार:- मास्टर भूताराम जाखल
गाँव-जाखल,तहसील-सांचोर,जिला-जालोर(राजस्थान)

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