कवयित्री डॉ.अलका पाण्डेय द्वारा 'चौथ का चाँद' विषय पर रचना

बदलाव मंच
४/११/२०२०
विषय- चौथ का चाँद 

शीर्षक- चौथ के प्यारे चाँद - 

ऐ मेरे प्यारे चाँद 
करती तेरा इंतज़ार ...
आज तुम जल्दी दरश दिखना 
मेंहदी रचा पूजा का थाल सजा 
हाथो में करवा पैरो में महावर सजा ।।
करती तेरा इंतज़ार ....
ऐ मेरे प्यारे चाँद 
निर्जला व्रत किया है 
तेरी पूजा का प्रण लिया है 
साजन का कर दीदार 
तुम्हे मैं अर्ध चढ़ाऊँगी 
सजना के हाथो जलपान करुगीं
ऐ मेरे प्यारे चाँद 
करती तेरा इंतज़ार ...
माँग रही मै सदा सुहागन का वरदान ।
सजना के प्यार का मागूं मैं वरदान ।।
मेरे जीवन का हर श्रृगांर सजना से है ।।
मेरे जीवन का हर अरमान सजना से है ।।
घर परिवार की खुशीयां साजन से है ।
जन्म जन्म के साथ का मांगू मैं वरदान । 
ऐ मेरे प्यारे चाँद 
करती तेरा इंतज़ार ...
सुबह सबेरे भोर के पहले सहरी करते है । 
दिनभर रख उपवास पेट अकुलाता है ।। 
तेरी पूजा की चौथ माता की तैयारी करते हैं ।
संझा को सजसंवर कर कथा सुनाते है । 
चाँद तेरी महिमा का  गुण गान करते है ।।
छिप न जाना बदली में झलक दिखाना ।
चौथ का उपवास तुड़वा जाना दरश दिखाना ।
ऐ मेरे प्यारे चाँद 
करती तेरा इंतज़ार ...
तेरा सब मान करेगे सम्मान करेगें आज । 
तेरी झलक देखने दौड दौड छत पर जायेगे आज ।।
छिप न जाना ओ निर्मोही बदली से बहार आना ।
मेरी तपस्या का फल दे कर जाना आज ।।
ऐ मेरे प्यारे चाँद 
करती तेरा इंतज़ार ...

डॉ  अलका पाण्डेय- मुम्बई

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