कवयित्री शशिलता पाण्डेय द्वारा 'करवा चौथ का त्योहार' विषय पर रचना

नमन बदलावमंच
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मंच आयोजन
दिनांक:-4/11/2020
दिवस-बुधवार
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करवाचौथ का त्योहार
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कार्तिक माह कृष्णपक्ष की चतुर्थी,
महिलाओं की बड़ी पावन पुण्यतिथि।
प्रिय की कोमल अनुभूतियों के साथ,
मन मे प्रीत और विश्वास की पहचान।
 महिलाएं त्योहार मनाती करवाचौथ,
 इष्टदेव से पति की दीर्घायु का वरदान।
पति पर निछावर सर्वस्व, सम्पूर्ण वर्चस्व,
माँगती हुई करती व्रत और पूजा-अर्चन।
 पूरे साल करती करवाचौथ का इंतजार,
 दुल्हन सा नूतन परिधान सजाए अलंकार।
 हाँथो में प्रियतम नाम की सजाकर मेहँदी,
 चाँद के इंतजार में सारेदिन रहती निराहार।
 पति को छलनी में निहारकर चाँद देखती,
पति के हाँथो पीकर जल संतृप्त होता मन।
अन्तर्मन में कहती संयोग आये ऐसा बार-बार,
रहे प्यार का महकता हमारा खुशियों का चमन।
दिल मे लहराता उमड़ता रहे प्यार का सागर,
करवाचौथ प्रतीक प्रेम का एक दूजे के प्रति।
दो दिलो को आजीवन करने को एकाकार,
शिव-शक्ति दोनों का अनुपम अनोखा संगम।
जगाता हुआ विश्वास समर्पण और मनुहार,
एक आदर्श जीवन साथी बनने का देता गर्व।
पतिप्रीत में कठिन साधना, संयम का त्योहार,
बड़ा ही निर्मल निश्वार्थ समर्पण प्रीत का पर्व।
अपनी निर्मल भावनाओं का करती इजहार,
प्रिया अपने प्रियतम का विश्वास जीत लेती।
चंद्रमा की सोलह कलाओं सदृश सोलह श्रृंगार,
 पाषाण- हृदय पति का मन भी पत्नी मोह लेती।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय
बलिया(उत्तरप्रदेश)

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