कवि प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन" द्वारा 'जीवन नीति' विषय पर रचना

*जीवन नीति*

अंधकार से निराश मत होइए।
जीवन में कभी उदास मत होइए।।
चलते रहिए मदद का भाव लेकर।
एक दूसरे के होते हताश मत होइए।।

समय तो एक पहिया है घूमेगा।
क़िस्मत का अपना अलग रवैया है।
चिंतन करें किन्तु चिंता नही करना।
प्रभु साथ है ये एहसास मत खोइए।।

रात के बाद दिन है दिन के बाद रात।
मिलके बिछड़न, बिछड़के मुलाकात।।
मत रखना मन में कभी मलिनता।
इन सबके दौरान विश्वास मत खोइए।।


 दुख है तो कल सुख भी आएगा।
धुन्ध हटेगा,चमन फिर खिल जाएगा।।
अपना कर्म परिश्रम से करो सदा।
प्रभु से नित अरदास लगाते रहिए।।

प्रकाश के नक्शे कदम पर चलना।
नित वर्तमान में पूर्णभाव से जीना।
आना-जाना केवल जिंदगी नहीं है।
कुछ सेवा भाव भी मन में जगाते रहिए।।

*प्रकाश कुमार मधुबनी"चंदन"*

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