राजेश तिवारी 'मक्खन' जी द्वारा खूबसूरत रचना#

नमन मंच
दिनांक:12/11/2020
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
विषय: दीपोत्सव
विधा: गीत
दीपक   बन  जलना होगा ।
सघन तिमिर दलना होगा । 
मिट्टी का दीपक है देखो,  मिट्टी की तेरी काया ।
प्रेम रुप का तेल कहो क्या ,तुमने अन्दर भरवाया ।
तरल तेल सा प्रेम आपका सबके उर अन्तर आया ।
सत्तत्व सी स्वच्छ वर्तिका, अपने हिय में पधराया ।
पर उपकार कर्म करने को, पृथ्वी पर चलना होगा ।............१

झोके झंझावट विघ्नों के , अनेकानेक अवश्य आयेगें ।
सत्पथ गमन देख कर शत्रु , गीत   विरोधी ही गायेगें ।
स्तुति निन्दा में नहीं फसना,   तेरा पथ ये  भटकायेगें ।
केवल एक लक्ष्य हो तेरा , सत् संकल्प अवश्य पायेगें ।
समता और सद भाव भवन उर, अपने में भरना होगा ।...........२

दीपक की लौ सदा सदा ही, ऊपर को ही  उठा करती है ।
उच्चगगन तक तुम को जाना, समझे यही कहा करती है ।
प्यार प्रकाश प्रसारित करना, यह दरसा उजला करती है ।
कलुषकालिमा उर से तजना, कह कालिख छोड़ा करती है ।
तुमको भी तन की ताकत से , उच्च शिखर चढ़ना होगा ।..............३

आत्म बोध यदि आप हृदय में, जिस जिस के पहुचां  दोगे ।
तृप्ति अन्त: की अपनी लख ,  उर आंगन में   मुस्करा लोगे ।
भव अटवी में जो भटके जन,   उनको मार्ग दिखा तुम दोगे ।
भेदभाव की निशा सिरा कर,  हिय आशीष सदा सब लोगे ।
आओ  आज  दीप  वेला वर,   मक्खन  मन  भरना  होगा ।.............

मैं घोषणा करता हूँ  कि मेरी यह रचना स्वरचित व मौलिक है ।

राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी उ प्र

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