कवि सतीश लाखोटिया द्वारा 'मेहँदी प्रिया के नाम की' विषय पर रचना

# नमन मंच
# करवा चौथ


 
  *मेहँदी प्रिया के नाम की*
 
*कल्पना के सागर में* 
*गाेते लगाती हुई* 
*नारी की भावनाएँ* , *मन के भाव से बताने का प्रयास* 

  दिल में जागे अरमां 
   मेहँदी  रचाऊँ 
अपने हाथाे में 
उनके नाम की 
जाे मेरी हर धड़कन में 
बसे है मेरे बलमा ।।

पिया से मिलने की अगन 
जगाती मन में अलग ही एहसास
मेहँदी की सजावट में 
नजर आते वे ही वे 
चुमती मैं भी 
 मेरे हाथाे काे बार बार ।।

उनकी हर अदा मतवाली
नयनाे से बात करते 
बडे अदब से वे
हाे जाती जब मैं उन पर
वारी - वारी 
यही साेचकर 
इनकी बात ही न्यारी ।।

  रची हुईं मेहँदी के हाथाे से
जब भी ढकती मैं मेरा मुखडा 
वाे मुस्कराते हुए 
चुमते मेरे हाथाे काे
जब मेहँदी का असर 
हुआ उन पर 
यह लगता मुझे जरा - जरा 
खुशी से झुम उठती हुं मैं 
जब वह कहते 
लगती हुं मैं अप्सरा ।।

  मेहँदी ताे एक बहाना 
सजना ने बना लिया 
मेरे दिल के मंदिर में 
एक विशाल ठिकाना ।।

मेहँदी रचे या न रचे 
सजना के बाँहाे के 
झूले में ही 
पाते हम 
प्यार भरी 
खुशियों का खजाना ।।


सतीश लाखाेटिया 
नागपुर ( महाराष्ट्र)

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