कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा रचना ‘लॉकडाउन के पहले की दीवाली'

लॉकडाउन के पहले की दीवाली
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जब नहीं था,
 कोरोना का प्रकोप।
कितना मस्त था,
 दीवाली का स्वरूप।
बिना चिंता-फिकर की,
 मनाते थे दीवाली।
 पटाखों फुलझड़ियाँ वाली।
 गणपति और लक्ष्मीपूजन,
 बनी घर मे रंगोली।
 घर मे विभिन्न - मिठाई,
 पकवान बनाना।
 सबके घर घूम-घूमकर,
 मिष्ठान खाना-खिलाना।
 बम,पटाखे,फुलझड़ियाँ, 
रॉकेट पटाखे मनभाई।
  लक्ष्मीपूजन का बाद,
 बाँटते लावा,खिल, मिठाई।
 रंगीन रोशनी हर घर की,
 शोभा में चार चांद लगाई।
  बिना कोरोना की,
 मनभावन दीवाली याद आई।
 बड़ी देर रातों तक हम,
दिए में तेल डालते रहते थे।
मोमबत्तियों की लाइन सजाकर,
 घर भी जगमग करते थे।
ना था मास्क का झंझट,
ना सेनेजाइजर कि थी कोई परवाह।
मस्त दीवाली मनती थी,
मस्ती से होकर बेपरवाह।
बड़ी मस्त थी हर त्योहार की मस्ती,
अपनी त्योहार की खुशियोँ थी सस्ती।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री:-शशिलता पाण्डेय

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