*बदलाव मंच प्रतियोगिता*
शीर्षक - *छठ पर्व*
छठी मैया को हम मनाएंगे,
गीतं मधुरं उनके तो गायेंगे।
गंगा जमुना का पावन किनारा,
हिलोरे लेकर बहती शुभ धारा।
पूजा-पाठ वही पर हम करेंगे,
सूर्य देवता को अर्घ हम देंगे।
धन धान्य से मइया भंडार भरे,
मेरा सुहाग भी ऐसे ही अमर करें।
सिंदूर टिकुली माहुर का श्रृंगार,
पायल चुप न बैठे करती झंकार।
हृदय बंदनीय है यह सारा ताज,
छठ पूजा मिलकर करते साज।
दोनों हाथ जोड़कर करूं प्रणाम,
ऐसे चमकता रहे मां मेरा ललाम।
मूढ़मति है करुणामयी सदा करना दया,
श्रद्धा सुमन करती हूँ ,अर्पण है छठी मइया।
घाटों पर सजी संवरी बैठी है कामिनिया,
माता के गीतों में भर रही है सब रागिनियाँ।
कार्तिक शुक्लपक्ष को आता है ये पर्व,
इस पर्व को कहते महापर्व होता है गर्व।
*स्वरचित व मौलिक*
गीता पांडे रायबरेली उत्तर प्रदेश
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