कवयित्री प्रीति शर्मा जी द्वारा रचना ‘क्योंकि लड़के रोते नहीं’

क्योंकि लड़के रोते नहीं


अपने एहसासों को,

 पत्थर कर जाते हैं ।

 अपनी जिम्मेदारियों को ,

 ओढ़ बहुत बढे़  हो जाते हैं । 


दर्द हो भी ,

तो भी बहाना कर जाते हैं ।

आंसू को अपने ,

अंगार कर जाते हैं ।


आंख भर भी आए ,

अंदर ही अंदर पी जाते हैं ।

अपने आंसुओं को ,

पारा कर जाते हैं ।


क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं ।


अपने दिल को,

 फौलाद कर जाते हैं ।

अपनी मासूमियत को ,

दबा -दबा के ,

अपने भीतर,

 एक शैतान ,

खड़ा कर जाते हैं ।


वह कमजोर नहीं हो सकते ।

एक कवच ओढ जाते हैं ।


रोना भी चाहे तो ,

मर्द हो तुम ,

कह कर चुप करवा दिए जाते हैं।


 क्योंकि लड़के रोते नहीं हैं ।

काश.......!


अगर लड़के रो लिए होते ।

अपने भीतर के,

मासूम बच्चे को ,

खो नहीं दिए होते ।।


हालातों से लड़कर ,

कुछ लड़के ,

मुजरिमों की लाइन में ,

यूं खड़े नहीं होते ।।

@प्रीति शर्मा" असीम 

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