कवयित्री योगिता चौरसिया जी द्वारा रचना ‘विषय-पुरुष दिवस'

मंच को नमन
राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच
प्रतियोगिता
19/11/2020
गुरुवार
विषय-पुरुष दिवस
  शीर्षक- पिता
रहती थी सदा, मुस्कान उनके होठों पे,
परिश्रिमक थकान,झलकती थी माथे पे,
दिन रात से जो,पसीना सदा बहाते रहते,
कार्य करते हमारे वास्ते,भविष्य सजाते।

ले गई उड़ा उन्हें,पवन के झोंके में,
यादों मे बसा कर,फरियाद करते रहे,
रोते हैं आज भी,वो सारे नजारे प्यारे,
रोते हैं आज भी,उनके प्यारे दुलारे।

सूना हैं अब हर पल,बिना उनके रहते,
सूना हैं अब घरद्वार, बिना उनके होते,
सूनी हैं राह,बिना उनके मार्ग दर्शन के,
सूनी हैं माँ की मांग, श्रृंगार बिना उनके।

हाँ वो पिता ही थे, मेरे छद्मावरण ओढ़े,
दिलो जान मे बसाते,अश्रु कभी न दिखाते,
नादानियों को माफ,सदा ही करते रहते थे,
हर स्वप्नों को पूरा कर,जीवन के आंसमा थे।
स्वरचित/मौलिक
अप्रकाशित
योगिता चौरसिया
अंजनिया मंडला(म.प्र.)

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